रविवार, नवंबर 29, 2015

कोई ख्वाब ऐसा दिखाया न जाए..!!

कोई ख्वाब ऐसा दिखाया न जाए
जो पूरा होने के काबिल न हो

ऐसे समंदर की रुसवाई तय है कि जिसकी
अपनी लहरें न हों, अपना साहिल न हो

दिल अपना लुटा करके हमने ये जाना
दिल उसको न देना, जिसको दिल ही न हो

साँसों के पैरों में एक अजब जंजीर है
और आप कहते हैं इस कदर बोझिल न हो

मैं उसे हर धड़कन में महसूस करने लगा हूँ
उसके दीदार में अब कोई झिलमिल न हो

ऐसी जिंदगी भी क्या जिंदगी है "अनंत"
जिस जिंदगी में कोई हसीं कातिल न हो

तुम्हारा-अनंत 

शनिवार, नवंबर 28, 2015

मैं इस कुछ कदर बेचैन हूँ कि बंजारा हो गया हूँ...!!

घायल है जो चप्पा-चप्पा, मैं वो नजारा हो गया हूँ
लोग कहते हैं अब मुझे, मैं आवारा हो गया हूँ

न मौजें, न रवानी, और न पानी ही बचा है
मैं बंजर समंदर का एक किनारा हो गया हूँ

उसकी जुदाई में हर घडी तन्हाई से बाबस्ता हैं
इस तल्ख़ तन्हाई में मैं खुद का सहारा हो गया हूँ

वही सबब-ए-बीमारी, वही चारागर है अब मेरा
उसके इश्क ने यूं मारा कि बेचारा हो गया हूँ

सुकूं मिल जाए तो ठहरूं किसी एक ठांव पे "अनंत"
मैं इस कुछ कदर बेचैन हूँ कि बंजारा हो गया हूँ

तुम्हारा-अनंत


शुक्रवार, नवंबर 20, 2015

वो क्या-क्या, किस-किस तरह से कहेंगे...!!

वो क्या-क्या, किस-किस तरह से कहेंगे
मैं जनता हूँ, जिस-जिस तरह से कहेंगे

शाह जी सच में, सच के सिवा सब कहेंगे
मैं जनता हूँ वो सच किस तरह से कहेंगे

उनकी मुहब्बत से महज नफ़रत उगेगी
मैं जनता हूँ वो मुहब्बत इस तरह से कहेंगे

तुम्हारी बर्बादियों में भी तुम्हे तरक्की दिखेगी
मैं जनता हूँ वो साजिशों को उस तरह से कहेंगे

तुम्हारा-अनंत

बुधवार, नवंबर 04, 2015

ये इश्क़ सफर कटता ही नहीं...!!

है एक खालीपन इस जीवन में
जो तुम मिल जाती तो भर जाता

मैं मझधारों के बीच भटकता हूँ
जो तुम होती पार उतार जाता

करते करते कर न सका जिसे
मैं वो काम जरूरी कर जाता

जो हांथों मे हांथ लिया होता
तो मैं भी चैन से मर जाता

न डरने की आदत खराब रही
काश मैं भी इश्क़ से डर जाता

ये इश्क़ सफर कटता ही नहीं
जो कट जाता तो घर जाता

या मौला किस मिट्टी का किया मुझे
काश मैं भी टूट बिखर जाता

तुम्हारा-अनंत