रविवार, मई 08, 2016

एक नज़र से उसने हमारी जिंदगी तबाह की...!!

एक नज़र से उसने हमारी जिंदगी तबाह की
हमें नाज़ ये कि न हमने उफ़ की, न आह की

वो हमें लूटते रहे और हम मुसलसल लुटते रहे
न हमने खुद को बचाया, न खुद की परवाह की

क्या अज़ब बेरुखी थी क्या गज़ब जुल्म था
उसने न हमसे बातें की, न हमपे निगाह की

हम जिनके इश्क़ में ताउम्र शायरी करते रहे
उसने न हमें कभी दाद दी, न कभी वाह की

इश्क में उसको माना हमने अल-खुदा की तरह
पर न उससे कभी फ़रियाद की, न कभी चाह की

अनुराग अनंत

जो चला गया है जिस्त से बहुत पहले...!!

जो चला गया है जिस्त से बहुत पहले
मैं उसे न जाने कब से बुला रहा हूँ

ये तन्हाइयों की क्या अज़ब तीरगी है
कि जिसमे दिल अपना जला रहा हूँ

मेरे सब ख्वाब अब बच्चों से हो गए हैं
मैं उन्हें थपकियाँ दे दे कर सुला रहा हूँ

ये गज़ब प्यास है जो बुझती ही नहीं है
मैं रह रह कर उसकों आंसू पिला रहा हूँ

याद उसकी मेरा दिल लहू कर रही है
मैं जिगर चाक करके उसे भुला रहा हूँ

अनुराग अनंत

सच बोलने का जज्बा हम अपने अन्दर ले कर चलते हैं...!!

सच बोलने का जज्बा हम अपने अन्दर ले कर चलते हैं
हम वो पागल कतरे हैं जो दिल में समंदर ले कर चलते हैं

उनसे कह दो कि यहाँ हैं सर भी बहुत और बाजू भी बहुत
जो लाठी, झंडा, तलवार, खुखरी और खंजर ले कर चलते हैं

वो आंधी, तूफानों और काले कानूनों से हमें डरता फिरता है
उसे नहीं मालूम हम अपने संग में बवंडर ले कर चलते हैं

हम उन किसानों के बच्चे हैं जो फांसी के फंदों की भेट चढ़े
हम अपनी आँखों में अश्क नहीं, मौत के मंजर ले कर चलते हैं

वो ऐयारों के सरदार 56 इंच की छाती पर फूले नहीं समाते हैं
और हम हैं जो अपनी छाती पर सारा अम्बर ले कर चलते हैं

हम खून-पसीने, जीने-मरने वाले कब हद-ए-जिस्म में कैद रहे
हम अब तो दर-ए-मकतल को जिस्म ये जर्जर लेकर चलते हैं

अनुराग अनंत