शनिवार, जून 01, 2019

मैंने कहा था मैं ज़रूर आऊंगा !!

मैंने कहा था मैं ज़रूर आऊंगा।
मैं याद उसको बहुत आता हूँ।।

अब जिंदा रहने का बस एक चारा है
एक काम करता हूँ, चलो मर जाता हूँ

मेरी ख़ता नहीं, मेरी तबियत ही ऐसी है
मैं वक़्त हूँ, ठहरता नहीं, गुजर जाता हूँ

बस यही कहानी हरबार दोहराई जाती रही है
मैं आँखों में चढ़ता हूँ और नज़र से उतर जाता हूँ।

'अनंत' तेरी याद ने बड़ी सलीक़े से तोड़ा है मुझे
तुझे याद करता हूँ, तो थोड़ा और बिखर जाता हूँ।

अनुराग अनंत

बुधवार, अप्रैल 17, 2019

वो मेरे इश्क़ को महज़ अफ़साना समझते हैं !!

वो मेरे इश्क़ को महज़ अफ़साना समझते हैं
जो दीवानगी नहीं जानते वो मुझे दीवाना समझते हैं

नई बात ये है कि कुछ भी नया हुआ ही नहीं है
पुरानी बात ये है कि वो सबकुछ पुराना समझते हैं

कभी दरख़्त, कभी मील के पत्थर के साए में बैठ गए
ये मुसाफ़िर हैं रास्ते को ही अपना आशियाना समझते हैं

ये महफ़िल, ये मेले, ये लोग सब के सब तुम्हें मुबारक़ हों
वो नहीं तो हम सारे शहर को ही अब वीराना समझते हैं

हम अपनी आखों के कोरों में बैठे चौकीदारी करते रहते हैं
हमें रोना नहीं आता 'अनंत' हम महज़ मुस्कुराना समझते हैं

अनुराग अनंत

वो पूछ रहे हैं दिल की बातें !!

वो पूछ रहे हैं दिल की बातें
दिल हो तो बतलाऊँ मैं

एक ही दिल था चोरी हो गया
अब कैसे ये समझाऊं मैं

अनुराग अनंत

वहाँ जहाँ वो रोया था !!

वहाँ जहाँ वो रोया था
वहीं कहीं वो खोया है

वो अभी अभी उसे जगाने आये हैं
वो अभी अभी सुकून से सोया है

वो उसे अब पहचानते भी नहीं हैं
जिसने बरसों उन्हें पलकों पे ढोया है

ये दरख़्त जो अपने साए पे इतराता है
भूल गया है ये कि इसको मैंने बोया है

सब आंधी, तूफ़ान बेअसर ही रहे
उसको मैंने ख़ुद में ऐसा संजोया है

मेरी ज़िंदगी का बस एक सरमाया है
हमने ख़ुद को खो कर उसको पाया है

अनुराग अनंत

वो एक हादसा था गुज़र गया...!!

वो एक हादसा था गुज़र गया
मैं एक रास्ता हूँ, ठहरा हुआ हूँ

पहले बहुत पहले एक दरिया था मैं
होते होते दरिया से सहारा हुआ हूँ

अनुराग अनंत

ये कैसा मरहम है जो और घाव करता है..!!

सर्द रातों में वो अपने दर्द को अलाव करता है।
ये कैसा मरहम है जो और घाव करता है ।।

इन दरख्तों ने उसे धोखा दे दिया जब से ।
ये सूरज ख़ुद उसके सर पे छाँव करता है ।।

अनुराग अनंत

एक अरसे से एक काम करना चाहता हूँ..!!

एक अरसे से एक काम करना चाहता हूँ
मैं एक बार ख़ुद से हो कर गुजरना चाहता हूँ

लोग जो मुझसे गुजरें तो पाँव लहू लहू हो जाए
मैं आईने की तरह टूट कर बिखरना चाहता हूँ

अनुराग अनंत

ये जो कुछ मुझको हुआ है..!!

ये जो कुछ मुझको हुआ है
किसी की हसीन बद्दुआ है

बर्फ़ सुबह से पानी पानी है
इसे किसी आग ने छुआ है

आज उसका ज़िक्र छिड़ा था
आज फिर दिल धुंआ धुंआ है

आज फिर किसी की बेटी मरी है
आज फिर संसद में हुआँ हुआँ है

मेरी दुआ टकरा कर मेरे पास आई
लगता है मेरा ख़ुदा भी पत्थर हुआ है

अनुराग अनंत