इस सुबह में मेरे हिस्से का सवेरा कितना है ,
चराग बुझा कर देख लो, अँधेरा कितना है ,
तेरे नाम पर तो दावे बहुत लोग करते हैं ,
दिल कहता है आजमा कर देख लूँ, तू मेरा कितना है,
उस डेरे से उडा था ,इस डेरे पर है ,उस डेरे पर बैठेगा ,
खुदा जाने, इस परिंदे का ,डेरा कितना है ,
भागता हूँ रातो-दिन ,पर अब तक भाग नहीं पाया ,
कोई बतला दे उसकी यादों का ,ये घेरा कितना है ,
गुनाह हुआ है मुहब्बत में ''अनंत ''तुझसे भी ,मुझसे भी ,
न जाने इस गुनहा में कुसूर मेरा कितना है ,तेरा कितना ,
''तुम्हारा --अनंत ''