कुछ कहूँ तुमसे तो बस यही कहूंगा कि
यार मुझको अब कुछ नहीं कहना है
मैं तुम्हारी जंदगी से जाना चाहता हूँ क्योंकि
मुझको तुम्हारे दिल में फ़क़त दिल मे रहना है
मैं अबतलक बस इसलिए सदियों से प्यासा हूँ
तू जो रोये तो तेरी आँखों का अश्क़ पीना है
ये जहान जिसे तेरा ख़ून समझ रहा है सनम
ये ना तेरा लहू, न आसूं है, न पसीना है
मैं आजकल मशरूफ़ हूँ, जिगर चाक़ करने में
मुझे इत्मीनान से बैठ कर ज़ख्म सीना है
लहर जो लहर होती तो कब का मर गया होता
ये जितनी लहरें है, लहर नहीं, सफीना है
जिसे कम समझते हो वो कतई कम नहीं 'अनंत'
जो जितना कम दिख रहा है, वो उतना कमीना है
अनुराग अनंत
यार मुझको अब कुछ नहीं कहना है
मैं तुम्हारी जंदगी से जाना चाहता हूँ क्योंकि
मुझको तुम्हारे दिल में फ़क़त दिल मे रहना है
मैं अबतलक बस इसलिए सदियों से प्यासा हूँ
तू जो रोये तो तेरी आँखों का अश्क़ पीना है
ये जहान जिसे तेरा ख़ून समझ रहा है सनम
ये ना तेरा लहू, न आसूं है, न पसीना है
मैं आजकल मशरूफ़ हूँ, जिगर चाक़ करने में
मुझे इत्मीनान से बैठ कर ज़ख्म सीना है
लहर जो लहर होती तो कब का मर गया होता
ये जितनी लहरें है, लहर नहीं, सफीना है
जिसे कम समझते हो वो कतई कम नहीं 'अनंत'
जो जितना कम दिख रहा है, वो उतना कमीना है
अनुराग अनंत
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