मैंने कहा था मैं ज़रूर आऊंगा।
मैं याद उसको बहुत आता हूँ।।
अब जिंदा रहने का बस एक चारा है
एक काम करता हूँ, चलो मर जाता हूँ
मेरी ख़ता नहीं, मेरी तबियत ही ऐसी है
मैं वक़्त हूँ, ठहरता नहीं, गुजर जाता हूँ
बस यही कहानी हरबार दोहराई जाती रही है
मैं आँखों में चढ़ता हूँ और नज़र से उतर जाता हूँ।
'अनंत' तेरी याद ने बड़ी सलीक़े से तोड़ा है मुझे
तुझे याद करता हूँ, तो थोड़ा और बिखर जाता हूँ।
अनुराग अनंत
मैं याद उसको बहुत आता हूँ।।
अब जिंदा रहने का बस एक चारा है
एक काम करता हूँ, चलो मर जाता हूँ
मेरी ख़ता नहीं, मेरी तबियत ही ऐसी है
मैं वक़्त हूँ, ठहरता नहीं, गुजर जाता हूँ
बस यही कहानी हरबार दोहराई जाती रही है
मैं आँखों में चढ़ता हूँ और नज़र से उतर जाता हूँ।
'अनंत' तेरी याद ने बड़ी सलीक़े से तोड़ा है मुझे
तुझे याद करता हूँ, तो थोड़ा और बिखर जाता हूँ।
अनुराग अनंत