वहाँ जहाँ वो रोया था
वहीं कहीं वो खोया है
वो अभी अभी उसे जगाने आये हैं
वो अभी अभी सुकून से सोया है
वो उसे अब पहचानते भी नहीं हैं
जिसने बरसों उन्हें पलकों पे ढोया है
ये दरख़्त जो अपने साए पे इतराता है
भूल गया है ये कि इसको मैंने बोया है
सब आंधी, तूफ़ान बेअसर ही रहे
उसको मैंने ख़ुद में ऐसा संजोया है
मेरी ज़िंदगी का बस एक सरमाया है
हमने ख़ुद को खो कर उसको पाया है
अनुराग अनंत
वहीं कहीं वो खोया है
वो अभी अभी उसे जगाने आये हैं
वो अभी अभी सुकून से सोया है
वो उसे अब पहचानते भी नहीं हैं
जिसने बरसों उन्हें पलकों पे ढोया है
ये दरख़्त जो अपने साए पे इतराता है
भूल गया है ये कि इसको मैंने बोया है
सब आंधी, तूफ़ान बेअसर ही रहे
उसको मैंने ख़ुद में ऐसा संजोया है
मेरी ज़िंदगी का बस एक सरमाया है
हमने ख़ुद को खो कर उसको पाया है
अनुराग अनंत
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