ये जो कुछ मुझको हुआ है
किसी की हसीन बद्दुआ है
बर्फ़ सुबह से पानी पानी है
इसे किसी आग ने छुआ है
आज उसका ज़िक्र छिड़ा था
आज फिर दिल धुंआ धुंआ है
आज फिर किसी की बेटी मरी है
आज फिर संसद में हुआँ हुआँ है
मेरी दुआ टकरा कर मेरे पास आई
लगता है मेरा ख़ुदा भी पत्थर हुआ है
अनुराग अनंत
किसी की हसीन बद्दुआ है
बर्फ़ सुबह से पानी पानी है
इसे किसी आग ने छुआ है
आज उसका ज़िक्र छिड़ा था
आज फिर दिल धुंआ धुंआ है
आज फिर किसी की बेटी मरी है
आज फिर संसद में हुआँ हुआँ है
मेरी दुआ टकरा कर मेरे पास आई
लगता है मेरा ख़ुदा भी पत्थर हुआ है
अनुराग अनंत
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें