बुधवार, अप्रैल 26, 2017

जरुरी तो नहीं....!!

जो चाहो तुम्हे मिल जाए जरुरी तो नहीं
हर बार कोई तुम्हे बचाये जरुरी तो नहीं

अपने हिस्से का खुद ही रो लो तो बेहतर है
कोई तुम पे  भी अश्क़ बहाए जरूरी तो नहीं

कुछ ज़ख्म बहुत जरुरी है जिगर पर रहना
कमब्खत हर ज़ख्म भर जाए जरुरी तो नहीं

मैं ग़मज़दा हूँ तो मुझे ग़मज़दा ही रहने दो
कोई रोते हुए भी मुस्कुराए जरुरी तो नहीं

 कुछ बात है जो छिपाने को जी चाहता है
हर बात बता ही दी जाए जरुरी तो नहीं

मौत का लुत्फ़ उठा कर भी देखिये अनंत
जिंदगी ही हर मजा दे जाए जरुरी तो नहीं

अनुराग अनंत 

मुझे मौत की सख्त जरूरत है..!!

ये नींद अब मुझे सुला ना पाएगी
मुझे मौत की सख्त जरूरत है

जिंदगी हसीन है ये किसने कहा
मुझे इस जिंदगी से नफरत है

जो मेरी जान की जानी दुश्मन है
कम्बख़त उस शै का नाम उल्फत है

जितना जिया हूँ सब गुस्ताखी है
जितना जी रहा हूँ मेरी जुर्रत है

ये सांस क्योंकर बंद नहीं होती
ये मेरी जान पर अजीब आफत है

दो घडी रुको मैं रोना चाहता हूँ
क्या मुझे मैं होने की मोहलत है

अनुराग अनंत

मैं अपने ज़ख्मो पर ज़ख्म लगाता हूँ

ये शायरी मेरी जान की दुश्मन है
मैं जिसे मर मर कर गले लगाता हूँ

तुम जख्मो पर मरहम लगाते होगे
मैं अपने ज़ख्मो पर ज़ख्म लगाता  हूँ

तुम अपने होने पर कितना इतराते हो
मैं अपने होने से कितना घबराता हूँ

तुम जब मुझे जीने की दुआएं देते हो
मैं कुछ हल्का-हल्का सा मर जाता हूँ

एक नींद भीतर बहुत दिनों से जगती है
मैं उसको बाहर से रोज़ सुलाता हूँ

मैं रोज़ एक क़त्ल का आदी हूँ
मैं रोज़ खुद का गला दबाता हूँ

तुम्हारा - अनंत