कुछ तो है जो मुल्क में जो बदल रहा है
कोई सूरज है जो आहिस्ते से ढल रहा है
नफ़रतों की तपिश बहुत बढ़ने लगी है
मुहब्बतों का हिमालय पिघल रहा है
इस झूठी हंसी से दम घुटने लगा है
खुल के रोने को ये दिल मचल रह है
ये बात उनको बहुत नागवार गुजरी
ये मजलूम कैसे सर उठा कर चल रहा है
मेरे रोने पे उसने भी मेरा साथ छोड़ दिया
जो बरसों मेरी आँखों का काजल रहा है
ये जो आदमी आज तलवार सा हो गया है
ये आदमी भी किसी के पाँव का पायल रहा है
जो मुंह में आया साफ़-साफ़ कह दिया हमने
जमाना बस इसी बात का कायल राह है
अनुराग अनंत
कोई सूरज है जो आहिस्ते से ढल रहा है
नफ़रतों की तपिश बहुत बढ़ने लगी है
मुहब्बतों का हिमालय पिघल रहा है
इस झूठी हंसी से दम घुटने लगा है
खुल के रोने को ये दिल मचल रह है
ये बात उनको बहुत नागवार गुजरी
ये मजलूम कैसे सर उठा कर चल रहा है
मेरे रोने पे उसने भी मेरा साथ छोड़ दिया
जो बरसों मेरी आँखों का काजल रहा है
ये जो आदमी आज तलवार सा हो गया है
ये आदमी भी किसी के पाँव का पायल रहा है
जो मुंह में आया साफ़-साफ़ कह दिया हमने
जमाना बस इसी बात का कायल राह है
अनुराग अनंत
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