
मुझे बस इतना कहना है कि मेरे साथ बेवफाई हुई है,
आफसोस करूँ भी तो क्या करूँ, खाख-ए-दिल पर,
ये आग-ए-मोहब्बत हमारी ही लगाईं हुई है,
उदास क्यों हूँ मैं, हर कोई मुझसे पूछता है,
इस उदासी के पीछे मैंने एक बात छिपाई हुई है,
बेफिकर हो जाए वो, जिसने मेरा दिल तोड़ा है,
मैंने उसका नाम न लेने की, कसम खाई हुई है,
जिस दिन कहा उसने, हमें भूल जाओ ''अनंत''
बस उसी दिन से वो मेरे वास्ते पराई हुई है,
चलने दो मुझे वक़्त हो चला है, चलता हूँ मैं,
मुझे लेने को वो मुन्तजिर मौत आई हुई है ,
तुम्हारा-- अनंत
5 टिप्पणियां:
भावपूर्ण गज़ल....
सुन्दर गजल
badhiya
बहुत खूब .. ख्यालात लाजवाब ...
Anant shaheb aap jawab nahi
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