एक इंसान साज़िस में मारा था.................................गाँव आया है , |
इस टूटी हुई चटाई पर कौन लेटा है ,
दर्द जिसका गहरा है ,घाव छोटा है ,
एक इंसान साज़िस में मारा था गाँव आया है ,
जिस्म पर जिसके कफ़न के जगह तिरंगा लपेटा है ,
आज कल एक अजब लड़ाई है मेरे वतन में ,
एक ओर किसान बाप है ,एक ओर जवान (सैनिक)बेटा है ,
क्यों हँसा रहे हो हमको हम रो पड़ेंगे ,
कैसे बताएं हमने इन आँखों में क्या-क्या समेटा है ,
एक हमारा पेट है जो भूख से ही भर जाता है ,
एक उनका पेट है जो सारा वतन खा कर भी भूखा है ,
तुम्हारा -- अनंत
2 टिप्पणियां:
vaah...nihshabd karti rachna.
man ko bhav vihaul karti deshprem ka marm samjhati sarthak prastuti..
फैला दो आग ऐसे की जले जंगल ये चुप्पी का , जी भर गया है मुर्दों की दुनियाँ में रह-रह कर , फरकता क्यों नहीं तुम्हारा लहू,शायद ये पानी है , इन्सां जानवर हो जाता है, जुल्म सह-सह कर,--अनंत.....sundar joshela sandesh...
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