गुरुवार, मार्च 29, 2012

कुछ अलग हो तो लगे, जिंदगी  जिन्दा है अभी,
कभी तो आए यहाँ, इतवार- सोमवार के बाद,
दम की दरकार है बहुत, बड़ा हौसला चाहिए,
कुछ नहीं बचता है दोस्त! बाज़ार के बाद,
उसकी लुटी अस्मत एक खबर ही तो है ,
कोई कुछ नहीं बोलेगा, अखबार के बाद ,
कोई कितना भी कायर हो वो लड़ जायेगा,
खून खौल उठता है, एक ललकार के बाद,
बड़ा नादाँ था मैं, जो न ये फ़लसफ़ा समझा,
फकत इंतज़ार ही मिलता है, इंतज़ार के बाद,
और भी जीत है  ''अनंत'' एक हार के बाद,
जिंदगी उठ खड़ी होती है हर वार के बाद,

तुम्हारा--अनंत

4 टिप्‍पणियां:

sonal ने कहा…

bahut khoob

jyoti mishra ने कहा…

zindgiki har ladai aur jeet ki kahani hai ye....all d best

सदा ने कहा…

वाह ...बहुत खूब ।

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

very nice............

anu