एक ख्वाब है जो मुझे कभी जीने नहीं देता
एक ख्वाब है जो मुझे कभी मरने नहीं देता
डर कर जीता, तो वजीर-ए-निजाम हो सकता था
न जाने क्या है भीतर, जो मुझे कभी डरने नहीं देता
ये वो सड़क है जहाँ बड़े-बड़े साहिब-ए-किरदार गिर पड़े
जिन्दा है मेरा ईमान वो मुझे कभी गिरने नहीं देता
समंदर के किनारे एक गरौंदा, जो बेख़ौफ़ खड़ा मिला
एक बच्चे हंस कर कहा, मैं इसे कभी बिखरने नहीं देता
सियासत के बाज़ार में तेज़ाब बिकता रहा, बांटता रहा
ये तेज़ाब मोहब्बत को कभी सजने-सँवरने नहीं देता
चाहता तो वो भी है कि रहे घर-ओ-वतन में सुकून से
पर भूख का कहर उसे घर में कभी ठहरने नहीं देता.
तुम्हारा- अनंत
एक ख्वाब है जो मुझे कभी मरने नहीं देता
डर कर जीता, तो वजीर-ए-निजाम हो सकता था
न जाने क्या है भीतर, जो मुझे कभी डरने नहीं देता
ये वो सड़क है जहाँ बड़े-बड़े साहिब-ए-किरदार गिर पड़े
जिन्दा है मेरा ईमान वो मुझे कभी गिरने नहीं देता
समंदर के किनारे एक गरौंदा, जो बेख़ौफ़ खड़ा मिला
एक बच्चे हंस कर कहा, मैं इसे कभी बिखरने नहीं देता
सियासत के बाज़ार में तेज़ाब बिकता रहा, बांटता रहा
ये तेज़ाब मोहब्बत को कभी सजने-सँवरने नहीं देता
चाहता तो वो भी है कि रहे घर-ओ-वतन में सुकून से
पर भूख का कहर उसे घर में कभी ठहरने नहीं देता.
तुम्हारा- अनंत
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