जो चला गया है जिस्त से बहुत पहले
मैं उसे न जाने कब से बुला रहा हूँ
ये तन्हाइयों की क्या अज़ब तीरगी है
कि जिसमे दिल अपना जला रहा हूँ
मेरे सब ख्वाब अब बच्चों से हो गए हैं
मैं उन्हें थपकियाँ दे दे कर सुला रहा हूँ
ये गज़ब प्यास है जो बुझती ही नहीं है
मैं रह रह कर उसकों आंसू पिला रहा हूँ
याद उसकी मेरा दिल लहू कर रही है
मैं जिगर चाक करके उसे भुला रहा हूँ
अनुराग अनंत
मैं उसे न जाने कब से बुला रहा हूँ
ये तन्हाइयों की क्या अज़ब तीरगी है
कि जिसमे दिल अपना जला रहा हूँ
मेरे सब ख्वाब अब बच्चों से हो गए हैं
मैं उन्हें थपकियाँ दे दे कर सुला रहा हूँ
ये गज़ब प्यास है जो बुझती ही नहीं है
मैं रह रह कर उसकों आंसू पिला रहा हूँ
याद उसकी मेरा दिल लहू कर रही है
मैं जिगर चाक करके उसे भुला रहा हूँ
अनुराग अनंत
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