मैं जिसके इश्क़ में मोमिन हुआ था
वो यार मेरा, एक काफ़िर सनम था
मैंने सहरा का दिल टटोल कर देखा है
वहाँ एक हिस्सा आंसुओं से नम था
मैं आज जो ये शायर सा हो गया हूँ
ये कल मुझपे उसका किया करम था
उसने मेरा नाम लेकर आहें भरीं थीं
क्या ये होना मेरे वास्ते कम था
मैं उसके बिना भी ज़िन्दगी गुज़ार सकता हूँ
ये मेरी ज़िन्दगी का सबसे बड़ा भरम था
वो ख्वाब नहीं था जो अभी अभी टूटा है
वो आँखों पे सजा सबसे खूबसूरत वहम था
तुम जिसे हादसा कह रहे हो "अनंत"
वो मुझपे किया ख़ुदा का एक रहम था
तुम्हारा-अनंत
वो यार मेरा, एक काफ़िर सनम था
मैंने सहरा का दिल टटोल कर देखा है
वहाँ एक हिस्सा आंसुओं से नम था
मैं आज जो ये शायर सा हो गया हूँ
ये कल मुझपे उसका किया करम था
उसने मेरा नाम लेकर आहें भरीं थीं
क्या ये होना मेरे वास्ते कम था
मैं उसके बिना भी ज़िन्दगी गुज़ार सकता हूँ
ये मेरी ज़िन्दगी का सबसे बड़ा भरम था
वो ख्वाब नहीं था जो अभी अभी टूटा है
वो आँखों पे सजा सबसे खूबसूरत वहम था
तुम जिसे हादसा कह रहे हो "अनंत"
वो मुझपे किया ख़ुदा का एक रहम था
तुम्हारा-अनंत
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