मेरे मकान पर पत्थर न मारो,
काँच की दीवार है, टूट जाएंगी,कल छूटनी होगी जो गाड़ी साँसों की,
वो आज ही झटके से झूट जाएगी,बड़ी तुनकमिजाज़ है शाम मेरी,
मत सताओ इसे ये रूठ जाएगी,
भरी है आँख की गगरी गम-ओ-अश्क से,
जरा आहिस्ते से छुओ इसे ये फूट जाएगी,
मैं न रहूगा कल और न मेरी आवाज़ होगी
बस मेरी याद तेरे दिल के कोने में सुगबुगायगी,
जताता हूँ मैं जो आज कीमत अपनी,
कल अपने आप तू खुद-ब-खुद समझ जाएगी,
तुमहरा --अनंत
2 टिप्पणियां:
bahut sundar bhaav very nice
bahut sundar, badhai.
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