सच तो ये है कि हर कोई सच्चाई से डरता है
अंधेरी राहों पर आदमी परछाईं से डरता है
एक बेनाम से दुराहे पर खड़ा है हर कोई
एक तरफ मौत से डरता है, एक तरफ रुसवाई से डरता है
जो मुफलिस है ''अनंत'' और खुद्दार भी है
वो कुछ मांगन से पहले मनाही से डरता है
जवाब दे सकता है एक मजलूम भी सितमगर को
पर वो मजबूर अपने घर की तबाही से डरता है
खून बहता है जिसकी रगों मे, और जो जिंदा भी है
वो शेर की औलाद कब लड़ाई से डरता है
बेगुनाह और पाक -ओ- साफ है जो शक्स
रोज़-ए-हश्र पर वो कहाँ किसी की गवाही से डरता है
डरा सकता नहीं कोई सच्चों को दुनिया में
जो सच्चा इंसान है वो फकत खुदा की खुदाई से डरता है
तुम्हारा--अनंत
अंधेरी राहों पर आदमी परछाईं से डरता है
एक बेनाम से दुराहे पर खड़ा है हर कोई
एक तरफ मौत से डरता है, एक तरफ रुसवाई से डरता है
जो मुफलिस है ''अनंत'' और खुद्दार भी है
वो कुछ मांगन से पहले मनाही से डरता है
जवाब दे सकता है एक मजलूम भी सितमगर को
पर वो मजबूर अपने घर की तबाही से डरता है
खून बहता है जिसकी रगों मे, और जो जिंदा भी है
वो शेर की औलाद कब लड़ाई से डरता है
बेगुनाह और पाक -ओ- साफ है जो शक्स
रोज़-ए-हश्र पर वो कहाँ किसी की गवाही से डरता है
डरा सकता नहीं कोई सच्चों को दुनिया में
जो सच्चा इंसान है वो फकत खुदा की खुदाई से डरता है
तुम्हारा--अनंत
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