ये जिंदगी तो गम का सामान हुई जाती है
दरिया के दहाने पर रेगिस्तान हुई जाती है
सोचा था लिखूंगा ग़ज़ल रुखसारों की चमक पर
पर मेरी ग़ज़ल तो बेवा की मुस्कान हुई जाती है
तेरा हुस्न, तेरा इश्क़, तेरी चाहत सब के सब कातिल हैं
ये जिन्दगी तेरी मुहब्बत में अफगानिस्तान हुई जाती है
सुना है, लाल किले की आवाजों में मेरा जिक्र ही नहीं है
मेरे सवाल, मेरी कहानी विदर्भ का किसान हुई जाती है
एक बूँद जो छलक आई है, आँखों के समंदर से
बेचारी बाज़ार के सहरा में परेशान हुई जाती है
मेरी बोली में उर्दू और हिंदी दोनों महकती है "अनंत"
मेरी आवाज़ एक मुकम्मल हिन्दुस्तान हुई जाती है
अनुराग अनंत
दरिया के दहाने पर रेगिस्तान हुई जाती है
सोचा था लिखूंगा ग़ज़ल रुखसारों की चमक पर
पर मेरी ग़ज़ल तो बेवा की मुस्कान हुई जाती है
तेरा हुस्न, तेरा इश्क़, तेरी चाहत सब के सब कातिल हैं
ये जिन्दगी तेरी मुहब्बत में अफगानिस्तान हुई जाती है
सुना है, लाल किले की आवाजों में मेरा जिक्र ही नहीं है
मेरे सवाल, मेरी कहानी विदर्भ का किसान हुई जाती है
एक बूँद जो छलक आई है, आँखों के समंदर से
बेचारी बाज़ार के सहरा में परेशान हुई जाती है
मेरी बोली में उर्दू और हिंदी दोनों महकती है "अनंत"
मेरी आवाज़ एक मुकम्मल हिन्दुस्तान हुई जाती है
अनुराग अनंत
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