शुक्रवार, अक्टूबर 16, 2015

ये बेसब्र धड़कन, आवारा साँसें..!!

ये बेसब्र धड़कन, आवारा साँसें
जो छू लें तुमको तो करार आये

है तल्ख़ धूप का ये जो मौसम
खुदा करे न दिल पे दरार आये

उसके आने से दिल ज़ख़्मी हुआ है
या ! रब अब न कोई बहार आये

फकत उसके यहीं के खातिर
हम हँस के अपनी गर्दन उतर आये

कर के दागी हम अपना पहलु
उन्सका दमन निखार आये

तुम्हारा-अनंत


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