बुधवार, नवंबर 04, 2015

ये इश्क़ सफर कटता ही नहीं...!!

है एक खालीपन इस जीवन में
जो तुम मिल जाती तो भर जाता

मैं मझधारों के बीच भटकता हूँ
जो तुम होती पार उतार जाता

करते करते कर न सका जिसे
मैं वो काम जरूरी कर जाता

जो हांथों मे हांथ लिया होता
तो मैं भी चैन से मर जाता

न डरने की आदत खराब रही
काश मैं भी इश्क़ से डर जाता

ये इश्क़ सफर कटता ही नहीं
जो कट जाता तो घर जाता

या मौला किस मिट्टी का किया मुझे
काश मैं भी टूट बिखर जाता

तुम्हारा-अनंत

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