जुम्बिश
जुम्बिश-ए-इश्क दिल में कुछ यूं रही है "अनंत" / जब जब धड़की है धडकन आशिक हुए हैं हम
शनिवार, अक्टूबर 28, 2017
आईने सा साफ होता जा रहा है ..!!
आईने सा साफ होता जा रहा है
मसीहा अब सांप होता जा रहा है
आदमी बुलबुला है,ये मैं जनता था
आदमी अब भाप होता जा रहा है
अनंत
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें