वो अरमान हैं मेरा जो मेरी आँखों में चमका,
ये अँधेरी राहों में कर देता है उजियारे,
खार चुभते हैं जब जब दर्द लिख देता हूँ,
लोग पढ़ते हैं उसे समझते हैं गीत हमारे,
मायूसी में भी मायूस होने नहीं देता हौसला मेरा,
आँख बंद करता हूँ दिखा देता है मंजिल के नज़ारे,
लड़ाई जारी है बचपन से ही मेरी और परेशानियों की,
लड़े जिस्म-ओ-जाँ से दोनों, न वो हारी न हम हारे,
बस इतना कहते हैं की मंजिल तक पहुँच ही जाएँगे,
ठीक वैसे ही जैसे पहुँचती हैं, लहर समंदर के किनारे,
गम-ओ-दर्द से लैस जिएँ तनहा, तो भी कोई गम नहीं,
चाह इतनी कि मरने के बाद भी न लोग हमकों बिसारे,
तुम्हारा--अनंत
ये अँधेरी राहों में कर देता है उजियारे,
खार चुभते हैं जब जब दर्द लिख देता हूँ,
लोग पढ़ते हैं उसे समझते हैं गीत हमारे,
मायूसी में भी मायूस होने नहीं देता हौसला मेरा,
आँख बंद करता हूँ दिखा देता है मंजिल के नज़ारे,
लड़ाई जारी है बचपन से ही मेरी और परेशानियों की,
लड़े जिस्म-ओ-जाँ से दोनों, न वो हारी न हम हारे,
बस इतना कहते हैं की मंजिल तक पहुँच ही जाएँगे,
ठीक वैसे ही जैसे पहुँचती हैं, लहर समंदर के किनारे,
गम-ओ-दर्द से लैस जिएँ तनहा, तो भी कोई गम नहीं,
चाह इतनी कि मरने के बाद भी न लोग हमकों बिसारे,
तुम्हारा--अनंत
6 टिप्पणियां:
बहुत खूब कहा है आपने
कल 22/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है !
'' तेरी गाथा तेरा नाम ''
अच्छी अभिव्यक्ति..
सुन्दर अभिव्यक्ति...
हार्दिक बधाई...
सुन्दर भाव...
अच्छी अभिव्यक्ति...
बहूत हि सुंदर अभिव्यक्ती....
बेहतरीन रचना है..
sir ye apke hauslo ki udaan hai aur apko apki manjil milegi
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