घायल है जो चप्पा-चप्पा, मैं वो नजारा हो गया हूँ
लोग कहते हैं अब मुझे, मैं आवारा हो गया हूँ
न मौजें, न रवानी, और न पानी ही बचा है
मैं बंजर समंदर का एक किनारा हो गया हूँ
उसकी जुदाई में हर घडी तन्हाई से बाबस्ता हैं
इस तल्ख़ तन्हाई में मैं खुद का सहारा हो गया हूँ
वही सबब-ए-बीमारी, वही चारागर है अब मेरा
उसके इश्क ने यूं मारा कि बेचारा हो गया हूँ
सुकूं मिल जाए तो ठहरूं किसी एक ठांव पे "अनंत"
मैं इस कुछ कदर बेचैन हूँ कि बंजारा हो गया हूँ
तुम्हारा-अनंत
लोग कहते हैं अब मुझे, मैं आवारा हो गया हूँ
न मौजें, न रवानी, और न पानी ही बचा है
मैं बंजर समंदर का एक किनारा हो गया हूँ
उसकी जुदाई में हर घडी तन्हाई से बाबस्ता हैं
इस तल्ख़ तन्हाई में मैं खुद का सहारा हो गया हूँ
वही सबब-ए-बीमारी, वही चारागर है अब मेरा
उसके इश्क ने यूं मारा कि बेचारा हो गया हूँ
सुकूं मिल जाए तो ठहरूं किसी एक ठांव पे "अनंत"
मैं इस कुछ कदर बेचैन हूँ कि बंजारा हो गया हूँ
तुम्हारा-अनंत
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