रविवार, नवंबर 29, 2015

कोई ख्वाब ऐसा दिखाया न जाए..!!

कोई ख्वाब ऐसा दिखाया न जाए
जो पूरा होने के काबिल न हो

ऐसे समंदर की रुसवाई तय है कि जिसकी
अपनी लहरें न हों, अपना साहिल न हो

दिल अपना लुटा करके हमने ये जाना
दिल उसको न देना, जिसको दिल ही न हो

साँसों के पैरों में एक अजब जंजीर है
और आप कहते हैं इस कदर बोझिल न हो

मैं उसे हर धड़कन में महसूस करने लगा हूँ
उसके दीदार में अब कोई झिलमिल न हो

ऐसी जिंदगी भी क्या जिंदगी है "अनंत"
जिस जिंदगी में कोई हसीं कातिल न हो

तुम्हारा-अनंत 

कोई टिप्पणी नहीं: