मैं जब तुमसे दिल का मरहला कह रहा था।
कह नहीं रहा था, दरअसल मैं ढह रहा था
कह नहीं रहा था, दरअसल मैं ढह रहा था
तुम्हारी नज़र में नदी में महज़ पानी ही बह रहा था
मेरी नज़र में पानी के साथ किनारा भी बह रहा था
मेरी नज़र में पानी के साथ किनारा भी बह रहा था
अनुराग अनंत
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