गुरुवार, नवंबर 11, 2010

न हुआ मेरा कोई कोई....

न हुआ मेरा कोई कोई ,न मुझे किसी और का होना आया ,
मेरे आने पर न हंसा कोई ,न मेरे जाने पर किसी को रोना आया ,
मैं बादल था अश्कों का, बरसता तो भीगा भी सकता था,
पर अफसोस न मुझे बरसना आया ,न भिगोना आया ,

मैं जुता खेत सा पड़ा था उसके सामने ,वो मेरे सामने खड़ा था,
बड़ा नादाँ निकला वो कि जिसे मुहब्बत का बीज न बोना आया ,
टूट कर बिखरा था मैं जिसके भरोसे ,माला की तरह ,
उस बेरहम माली को, माला न पिरोना आया,
जी सकता है बस वही ,बेवफाई झेल कर अनंत ,
जिसे जिन्दगी के नाम पर मोत को ढोना आया ,
'' तुम्हारा --अनंत ''

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