मंगलवार, मार्च 08, 2011

समंदर का इन्तिजाम हो सकता है

करो हिम्मत तो हर काम आसान हो सकता है ,
इतिहास के पन्नों पर तुम्हारा भी नाम हो सकता है ,
आज जिस नाम पर इतना इतरा रहे हो तुम ,
कल  तुम्हारा वो नाम  भी गुमनाम हो सकता है,
शाम उसकी आँखें पढ़ी ,तो पता चला ,आँखें डाकिया होती है ,
 वरना क्या खबर थी ,आँखों में भी ,प्यार का पैगाम हो सकता है , 
हंसी  आये तो जंगलों की तरफ भाग जाया करो ,
यूं शहर में हंसोगे तो यहाँ रहना हराम हो सकता है ,
ये मंदिर -मश्जिद भी तो  किसी मैखाने से कम नहीं ,
यहाँ फिरकापरस्ती का जाम पी कर, दिमाग जाम हो सकता है,
एक पागल मिला था चौराहे पर पर रोता हुआ ,
बोला मेरा नाम रहीम हो सकता है ,या फिर राम हो सकता है ,
कुछ नामुमकिन नहीं है अनंत बस अरमानों में जोर हो ,
चाहत बलंद हो तो सहरा में समंदर का इन्तिजाम हो सकता है ,
तुम्हारा-- अनंत  

1 टिप्पणी:

संगीता पुरी ने कहा…

इस नए सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्‍लॉग जगत में स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!