तुम ही से मोहब्बत, तुम ही से है नफ़रत
तुम ही तुम हो, तुमसे इतर कुछ कहाँ है
तुम्हारे पास तुम जितना बचे हो यारा
उससे ज्यादा तुम्हारा "तुम" तो यहाँ है
मेरा "मैं" मुझमें अब तो बचा ही नहीं है
तुम्हारा तुम है जहां, मेरा "मैं" भी वहाँ है
मेरा क्या पता है, मेरा क्या ठिकाना
जहाँ पे हो तुम, बस वही मेरा ज़हाँ है
ये तेरे कदमों के जाते हुए जो निशां हैं
मेरी जान जाने के भी यही निशां है
अनुराग अनंत
तुम ही तुम हो, तुमसे इतर कुछ कहाँ है
तुम्हारे पास तुम जितना बचे हो यारा
उससे ज्यादा तुम्हारा "तुम" तो यहाँ है
मेरा "मैं" मुझमें अब तो बचा ही नहीं है
तुम्हारा तुम है जहां, मेरा "मैं" भी वहाँ है
मेरा क्या पता है, मेरा क्या ठिकाना
जहाँ पे हो तुम, बस वही मेरा ज़हाँ है
ये तेरे कदमों के जाते हुए जो निशां हैं
मेरी जान जाने के भी यही निशां है
अनुराग अनंत
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