मेरा अधूरापन मुकम्मल हो रहा है
मैं एक सवाल था जो हल हो रहा हूँ
अपनी आंखों से बहना छोड़ कर अब तो
मैं उसकी आँखों का काजल हो रहा हूँ
यूं संभला हूँ कि बहका बहका रहता हूँ
अकल आई है ऐसे कि पागल हो रहा हूँ
बरसात रूठी है हम पर बरसते नहीं बादल
मैं इस कदर बंजर हूँ कि बादल हो रहा हूँ
हर सांस खंजर है, नश्तर है हर धड़कन
मैं जी रहा हूँ कि मुसलसल घायल हो रहा हूँ
मैं उसकी कैद में हूँ ऐसे कि वो आज़ाद है मुझसे
मैं उसके हाँथ का कंगन, पाँव का पायल हो रहा हूँ
अनुराग अनंत
मैं एक सवाल था जो हल हो रहा हूँ
अपनी आंखों से बहना छोड़ कर अब तो
मैं उसकी आँखों का काजल हो रहा हूँ
यूं संभला हूँ कि बहका बहका रहता हूँ
अकल आई है ऐसे कि पागल हो रहा हूँ
बरसात रूठी है हम पर बरसते नहीं बादल
मैं इस कदर बंजर हूँ कि बादल हो रहा हूँ
हर सांस खंजर है, नश्तर है हर धड़कन
मैं जी रहा हूँ कि मुसलसल घायल हो रहा हूँ
मैं उसकी कैद में हूँ ऐसे कि वो आज़ाद है मुझसे
मैं उसके हाँथ का कंगन, पाँव का पायल हो रहा हूँ
अनुराग अनंत
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