गुरुवार, दिसंबर 07, 2017

दर्द का अलाव

सर्द रातों में वो अपने दर्द को अलाव करता है
ये कैसा मरहम है जो और घाव करता है

इन दरख्तों ने उसे धोखा दे दिया जब से
ये सूरज ख़ुद उसके सर पे छाँव करता है

अनुराग अनंत

कोई टिप्पणी नहीं: