सर्द रातों में वो अपने दर्द को अलाव करता है
ये कैसा मरहम है जो और घाव करता है
इन दरख्तों ने उसे धोखा दे दिया जब से
ये सूरज ख़ुद उसके सर पे छाँव करता है
अनुराग अनंत
ये कैसा मरहम है जो और घाव करता है
इन दरख्तों ने उसे धोखा दे दिया जब से
ये सूरज ख़ुद उसके सर पे छाँव करता है
अनुराग अनंत
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